Thursday, September 29, 2016

जिंदगी

जिंदगी 

आज फिर हुआ सामना जिंदगी से
हस कर वो बोली
अब तो बदल जा पगले
तू  कब मुझसे मिलता है

मुझे सवारने के लिये
दिनभर भागता हैं
थककर देर से देर तक सोता हैं
पगले तू कब मुझसे मिलता हैं

दिन भर खयालो मैं खोता हैं
किसी न मिलने वाली चीज के लिए रोता हैं
मन को मारकर हँसता हैं
पगले तू कब मुझे जीता  है

बोली अब तो सुधर जा
एक दिन मैं छोड़ कर चली जाउंगी
साथ तुझे भी ले जाउंगी
फिर क्या पायेगा और क्या खोयेगा
















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