Tuesday, August 2, 2022

Hindi poem - सच्चे दोस्त

आसु  भी बड़े अजीब हैं 
महफ़िल मैं चले आते हैं 
सच्चे दोस्तों की तरह साथ निभाते हैं 

काश सिख जाते कुछ फरेब 
तो बड़ो की तरह बेवजह मुस्कुराते 
ये सच्चे हैं पर इनका तजुर्बा कच्चा हैं 
दिल अभी भी इनका बच्चा हैं 

हम आज पुराणी तस्वीरों मैं हसी ढूंढते हैं 
मुस्कुराने को कोई वजह ढूंढते हैं 

जमाना बड़ा ही गजब हैं 
आज हाथ मैं तागा  बांधकर 
दोस्त बनता हैं दोस्ती जताता हैं 

आओ  दिलो से जुड़े सच्चे दोस्त ढूंढते हैं 
आओ अब हम सच्चे दोस्त ढूंढते हैं 

पंछी की उड़ान

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