Monday, December 22, 2014

Marathi Poem:- गुढ

शब्द गुढ

भाव गुढ

डोळ्यांच्या किना-यावर अश्रू आरूढ 

 

मिळेना वाट 

फुटेना पाट 

हृदयाचे रांजण भरले काठोकाठ 

 

कसा चढावा डोंगर 

कसे कापावे अंतर 

मनी पेटले काहूर 

 

पणतीचा प्रकाश 

झेपन्या आकाश 

कसा करावा वनवा 

रान सारे ओले


पंछी की उड़ान

 पंछी की उड़ान एक नन्हा तालाब का पंछी सुनता गरूड़ो की कहानियाँ,  उसे बहुत पसंद आती  पहाड़ों की ऊंचाइयाँ। फिर उसने देखा एक ख्वाब और दिल में इ...