Wednesday, December 2, 2015

Marathi poem: Ghalmel

रात्र ही काळोखी
स्वप्नात काजवे
डोळे झाकलेले
स्मृतित आठवे

आस तुजी मनी
जिव गुंतलेला
घट्ट धरुनी इच्छाना
शांत मि निजलेला

उषेचा दुरावा
सरता सरेना
अंधाराचा  पगडा
हटता हटेना

उद्या उगवेल  सूर्य
धरा प्रकाशेल
ही जगाचीच रीत
तरी उरी घालमेल

पंछी की उड़ान

 पंछी की उड़ान एक नन्हा तालाब का पंछी सुनता गरूड़ो की कहानियाँ,  उसे बहुत पसंद आती  पहाड़ों की ऊंचाइयाँ। फिर उसने देखा एक ख्वाब और दिल में इ...