Thursday, March 14, 2013

Marathi Poem-झुंज

A poem झुंज for my friend Parag.

हे प्रतल आकांक्षाचे
भूजानि वेढील क्षितिजाला
तमा न बाळगेल परिणामांची
ध्येयाकडे मार्ग क्रमताना

जल कुठले बांधील आता
शिकलो मी सागर तरायला
भरधाव वेगाचे अश्व रथाचे
खेचून आणीन विजयश्री मजला 

पंछी की उड़ान

 पंछी की उड़ान एक नन्हा तालाब का पंछी सुनता गरूड़ो की कहानियाँ,  उसे बहुत पसंद आती  पहाड़ों की ऊंचाइयाँ। फिर उसने देखा एक ख्वाब और दिल में इ...